भोपाल : कोर्ट के आदेश के बाद उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों को अपने सरकारी बंगले खाली करने पड़े थे. अब मध्य प्रदेश भी यूपी की राह पर चल निकला है. यहां भी हाई कोर्ट ने राज्य के तीन मुख्यमंत्रियों को एक माह के भीतर अपने-अपने सरकारी बंगले खाली करने के आदेश दिए हैं. मध्य प्रदेश की जबलपुर हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश हेमंत कुमार गुप्ता और न्यायाधीश एके श्रीवास्तव की युगलपीठ ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए मंगलवार को दिए. इस आदेश के साथ ही मध्य प्रदेश के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों उमा भारती, कैलाश जोशी और दिग्विजय सिंह को अपना भोपाल स्थित बंगला खाली करना पड़ेगा.
सिविल लाइन निवासी विधि छात्र रौनक यादव की तरफ से दायर याचिका में प्रदेश सरकार के 24 अप्रैल, 2016 के उस एक आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन बंगले की सुविधाएं व मंत्री के सामान सुविधाएं प्रदान करने का जिक्र था.
याचिका में कहा गया कि प्रदेश सरकार ने मंत्रियों के वेतन व भत्ते अधिनियम में संशोधन कर यह आदेश जारी किया है. ऐसा करना न सिर्फ मौजूदा कानूनों के खिलाफ है, बल्कि जनता के पैसों का दुरुपयोग भी है.
याचिका की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने सरकार को संशोधित कानून में पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सरकारी आवास देने की वैधानिकता पर जवाब देने कहा था. याचिका पर पिछली सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से बताया गया था कि संबंधित मामला सुप्रीम कोर्ट में भी चल रहा है.
याचिकाकर्ता के वकील विपिन यादव के अनुसार, याचिका पर मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान युगलपीठ को बताया कि संबंधित मामले में दायर याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है, जिसके बाद युगलपीठ ने यूपी सरकार बनाम लोकप्रहरी प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट पारित आदेश को ध्यान में रखते हुए एक माह में पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवंटित शासकीय बंगले खाली करवाने के निर्देश दिए हैं.
Source:-ZEENEWS
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सिविल लाइन निवासी विधि छात्र रौनक यादव की तरफ से दायर याचिका में प्रदेश सरकार के 24 अप्रैल, 2016 के उस एक आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन बंगले की सुविधाएं व मंत्री के सामान सुविधाएं प्रदान करने का जिक्र था.
याचिका में कहा गया कि प्रदेश सरकार ने मंत्रियों के वेतन व भत्ते अधिनियम में संशोधन कर यह आदेश जारी किया है. ऐसा करना न सिर्फ मौजूदा कानूनों के खिलाफ है, बल्कि जनता के पैसों का दुरुपयोग भी है.
याचिका की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने सरकार को संशोधित कानून में पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सरकारी आवास देने की वैधानिकता पर जवाब देने कहा था. याचिका पर पिछली सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से बताया गया था कि संबंधित मामला सुप्रीम कोर्ट में भी चल रहा है.
याचिकाकर्ता के वकील विपिन यादव के अनुसार, याचिका पर मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान युगलपीठ को बताया कि संबंधित मामले में दायर याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है, जिसके बाद युगलपीठ ने यूपी सरकार बनाम लोकप्रहरी प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट पारित आदेश को ध्यान में रखते हुए एक माह में पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवंटित शासकीय बंगले खाली करवाने के निर्देश दिए हैं.
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